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फुल्ली फालतू शायरी

अर्ज किया है
तुमको देखा तो ये ख्याल आया,
तुमको देखा तो ये ख्याल आया,
पागलो के स्टॉक में नया माल आया..

इधर खुदा है, उधर खुदा है,
जिधर देखो उधर खुदा है,
इधर उधर बस खुदा ही खुदा है,
जिधर नही खुदा है उधर कल खुदेगा

तुमसा कोई दूसरा जमीं पर होगा तो रब से शिकायत होगी,
एक तो झेला नही जाता, दूसरा आ गया क्या हालत होगी.

कोई पत्थर से न मारे मेरे दीवाने को,
न्यूक्लिअर पॉवर का ज़माना है, बम से उड़ा दो साले को.

दुरखत के पैमाने पर चिलमन-ऐ-हुस्न का फुरकत से शर्माना,
दुरखत के पैमाने पर चिलमन-ऐ-हुस्न का फुरकत से शर्माना,
ये लाइन अगर समझ में आ जाए तो मुझे जरुर बताना


तेरे दर पर सनम हज़ार बार आयेंगे, तेरे दर पर सनम हज़ार बार आयेंगे,
घंटी बजायेंगे और भाग जायेंगे

मेरे मरने के बाद मेरे दोस्तों, यूँ आंसू न बहाना,
अगर मेरी याद आए तो, सीधे ऊपर चले आना

जब जब घिरे बादल तेरी याद आई, झूम के बरसा सावन तेरी याद आई,
भीगा मैं फिर भी तेरी याद आई, अब नहीं रहा जाता,
छतरी लौटा दे मेरे भाई

एक आप हो की शर्माते बहुत हो, एक आप हो इतराते बहुत हो,
दिल तो करता है आप को डिनर पर ले जायें, लेकिन कम्बक्त एक आप हो की खाते भी बहुत हो.

जैसे लोहे को लोहा काटता है, हीरे को हिरा काटता है,
कांच को कांच काटता है, वैसे ही.....
एक दिन तुमको कुत्ता काटेगा.


क्या हवा कह रही है, क्या घटा कह रही है, क्या हवा कह रही है, क्या घटा कह रही है,
क्या हवा कह रही है, क्या घटा कह रही है, इनको रुमाल दे दो, इनकी नाक बह रही है.

माथे पर लहू और सर पर रेत, माथे पर लहू और सर पर रेत,
अर्ज किया है
माथे पर लहू और सर पर रेत, क्योंकि उन्होंने फूल मारा पर गमले समेत


जब होता है दीदार दिल धड़कता है बार बार,
अर्ज किया है
जब होता है दीदार दिल धड़कता है बार बार, आदत से मजबूर तुम जाने कब मांग लो उधार

तुम होती तो ऐसा होता, तुम होती तो वैसा होता,
तुम इस बात पर इतना हंसती, तुम उस बात पर उतना खुश होती,
तुम इस बात पर ये कहती, तुम उस बात पर वो कहती,
शुक्र है खुदा का की तुम नही हो

प्यार तो हमको भी करना था, पर अफ़सोस कुछ ख़ास नही हुआ,
ताजमहल तो हमको भी बनवाना था, पर अफ़सोस, लोन पास नही हुआ

Medical Shairi....
when u breathe.,u respire.!
wah wah when u breathe u respire.!
wah wah wah..when u don't breathe.. u Expire..!!! ;)
wahwahwah

दिल चीर के दिखा दूँ दर्द ढूंढ़ नही पाओगे,
दिल चीर के दिखा दूँ दर्द ढूंढ़ नही पाओगे,
क्योंकि,
दर्द मेरे दांत में है.

खून से लिख दिया हर दीवार पर उसका नाम,
और फिर तोड़ दी हर दिवार जिस पर लिखा था उसका नाम,
क्यो क्यो
क्योंकि स्पेल्लिंग मिस्टेक थी

इतने कमजोर हो गए तेरी जुदाई से,
अर्ज किया है कि इतने कमजोर हो गए तेरी जुदाई से,
कि एक दिन मच्छर उठा के ले गया चारपाई से

हवा में बेताब उड़ रहे थे गालिब, वाह वाह,
हवा में बेताब उड़ रहे थे,
फिर
फिर क्या, रुक गई हवा और गिर गए गालिब

तुम पास आए, यूँ मुस्कुराए, अपने बत्तीस दांत मुझ को दिखाए,
देख के मेरा दिल, फुट फुट रोता है,
यार तुम से एक ब्रश भी ठीक से नही होता है.

होठों से छू लिया अहसास अब तक है,
आँखे नम है और सांसो में आग अब तक है,
और क्यो हो, जो खाई है वो तीखी हरी मिर्च है.

अर्ज किया है, खुदा बचाए आपको इन हसीनों से, इन नाज़निनो से, इन महजबिनो से, पर पर ...
पर क्या,
पर इन हसीनों को कौन बचायेगा आप जैसे कमीनो से.

इतनी मासूमियत कहाँ से लाते हो, इतना अच्छा कैसे मुस्कुराते हो,
बचपन से ही कमीने हो, या शक्ल ऐसी बनाते हो.

आइना देख कर बेगाना हो गया, ख़ुद अपने हुस्न का दीवाना हो गया,
"मुकाबला--हुस्न" में हिस्सा लिया आपने, औरो को कप मिला और आपको जुर्माना हो गया.

हिटलर भी चला गया, सद्दाम भी लटका दिया गया,
लादेन का कुछ पता नही,तुम्हारी भी तबियत कुछ ठीक नही रहती,
लगता है सतयुग आने वाला है.

जब से तुम को देखा है, मुझे दिन को चेन और रात को नींद नही आती,
जब भी तुम्हारी याद आती है, दिल से बस एक ही आवाज़ आती है,
जल तू जलाल तू, आई बला को टाल तू

खुदा की कसम तुम बहुत खुबसूरत हो, खुदा की कसम तुम बहुत खुबसूरत हो,
दुनिया की नज़र से ख़ुद को बचा लो,
काजल का एक टिका तुम्हारे लिए कम है,
एक काला तवा अपने गले में लटका लो.

क्या आँखें है, क्या जुल्फे है, क्या चेहरा तुमने पाया है,
ऐसा लगता है जैसे
ऐसा लगता है जैसे
पीपल के पेड़ से भुत उतर आया है,
अरे बुरा लगा...........
तो वापस चढ़ जाओ

आसमां पर जितने सितारे है, आँखों में जितने इशारे है,
समुन्दर में जितने किनारे है, उतने ही स्क्रू ढीले तुम्हारे है.

तोहर चेहरा चंदा समान,
तोहार बाल चंदा समान,
चंदा हमारी भेंस का नाम

तेरे प्यार की रौशनी ऐसी है कि हर तरफ़ उजाला नज़र आता है,
तेरे प्यार की रौशनी ऐसी है कि हर तरफ़ उजाला नज़र आता है,
सोचता हूँ घर की बिजली कटवा दूँ, कम्बक्त बिल बहुत आता है.

पलकों पर अपनी बैठाया है तुमको, बड़ी दुवाओं के बाद पाया तुमको,
आसानी से नही मिले तुम, "नेशनल जुलोजिकल पार्क" से चुराया है तुमको

जली को आग कहते है, बुझी को राख कहते है,
जली को आग कहते है, बुझी को राख कहते है,
कोबरा को नाग कहते है, और जो तुम्हारे पास नही उसे "दिमाग" कहते है.

आपकी यादों को पेप्सी बना कर पिया करेंगे, वक्त बेवक्त आपको बहुत मिस किया करेंगे,
मर भी गए तो क्या हुआ, यमराज के मोबाइल से आपको SMS किया करेंगे.

आज कुछ घबराए से लगते हो, ठण्ड से कपकपाये से लगते हो,
निखर आई है सूरत आपकी, बहुत दिनों बाद नहाये लगते हो.

जिसे कोयल समझा वो कौवा निकला, दोस्ती के नाम पर हौवा निकला,
जो रोका करते थे हमें शराब पीने से, आज उनकी ही जेब से पौवा निकला.

पत्ते घिर सकते है, पेड़ नहीं, सूरज डूब सकता है आसमान नहीं,
धरती सुख सकती है पर समंदर नहीं, दुनिया सुधर सकती है पर आप नहीं.

चमकते चाँद को नींद आने लगी, आपकी खुशी से दुनिया जगमगाने लगी,
देख के आपको हर कली गुनगुनाने लगी, बहुत ज्यादा हो गया यार,
अब तो मुझे भी फैकते फैकते नींद आने लगी.

4 comments:

RANAJEET SINGH YADAV said...

मजा आ गया भाई। धन्यवाद
murkiagadh.blogspot.com

Unknown said...

बहुत ही मजा आ गया भाई ऐसे ही शायरी लिखते रहिए

Unknown said...

Mast hai

Anonymous said...

Bahut mast sayari