क्या विधायक / मंत्रियो की न्यूंनतम शैक्षणिक योग्यता तय होनी चाहिये
जब सरकारी दफ्तर में सबसे छोटे पद, चपरासी के पद के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता का प्रावधान है तो मंत्री तो विभाग का कार्यकारी प्रमुख होता है, लेकिन क्या करे बस प्रजातंत्र के नाम पर सब चलता है. मेरे विचार से न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता के अलावा विधायक और मंत्रियो को हर दो साल में प्रतियोगिता परीक्षा की तरह परीक्षा होनी चाहिए, जिसके नतीजे ये तय करे की क्या वो मानसिक रूप से देश का नेतृत्व करने के लिए स्वस्थ्य है. परीक्षा में पास होने वाले विधायक / मंत्रियो को अगले दो साल के लिए अपनी रणनीति या कार्यनीति को उस प्रान्त की जनता के समक्ष स्पष्ट करनी चाहिए और अगले बार होने वाली परीक्षा के पहले उस नीति की समीक्षा होने के बाद ही उसे उस परीक्षा में बैठने देना चाहिए. वर्तमान मंत्री और मंत्रिपद के दावेदारों को उस विभाग से सम्बंधित परीक्षा में पास होना अनिवार्य होना चाहिए. मंत्रियो को केवल विकास की कार्यनीति बतानी होगी जैसे की वो कैसे ज्यादा रोजगार पैदा कर सकेंगे, क्या परियोजनाएं लाने का प्रयास करेंगे. सरकारी खजाने को लुटाने की कोशिश जैसे की वो मुफ्त बिजली, एक/दो रूपये किलो चावल इत्यादि रिश्वत के अंतर्गत आना चाहिए और ऐसा बोलने और करने वालो को चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित कर देना चाहिए. चलिए अब धरातल पर आते है की इसे लागु कौन माई का लाल करेगा.
Posted by
Bhavesh (भावेश )
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Monday, February 02, 2009
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राजनीति
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