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राजा परीक्षित, तक्षक और सात दिन

श्रीमद भागवद में राजा परीक्षित को क्षाप मिला था की सात दिन में उनकी मृत्यु हो जायेगी. आज के इन्सान इसका तात्पर्य समझने में असमर्थ है। हम में हर कोई सात दिन में ही मृत्यु को प्राप्त होगा (जी हाँ सात दिन यानि रवि, सोम, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र या शनिवार)। ये जो तक्षक नाग है ये और कोई नही हमारा काल है. काल के रूप में ये तक्षक हमें डसने को तैयार बैठा है और इन्ही सात दिनों में से किसी एक दिन डस लेगा. जिस तरह इस सत्य को जानने के बाद राजा परीक्षित की आँखे खुल गई और उन्होंने अपने जीवन को एक नई दिशा दी थी वैसे ही हम भी तक्षक और ये सात दिन दिमाग में रख कर अपने जीवन को उत्कृष्ट कार्य में अभी से लगा दे, ताकि परीक्षित की तरह अमर हो सके. कहते है की तक्षक फल के अन्दर छुप कर आया था इसका तात्पर्य ये है की काल कही भी, कभी भी किसी भी स्थिति में आ सकता है. जब उसको आना है वो किसी भी रूप में आएगा और उसको रोक पाना किसी के लिए भी सम्भव नही है फिर चाहे वो राजा हो या रंक.

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