देश की अर्थ व्यवस्था
हमारे देश की अर्थव्यवस्था चीन की इकोनोमी से काफी हद तक अलग है. चीन ने निर्यात के आधार पर हाल ही में काफी तरक्की हुई है. हम अमेरिका की उधार की आर्थिक निति से भी कुछ अलग है. जिसके अपने फायदे और नुकसान है. हम इन देशो की तरह तेजी से ऊपर और नीचे नही जायेंगे. अब आज दुनिया एक ग्लोबल विलेज बन गई है इसलिए अन्य देशो में छा रही मंदी का असर हमारे ऊपर भी होना स्वाभाविक है. इससे उबरने के लिए हमें अपने घरेलु डिमांड को बढ़ाना होगा. साथ ही जो नौकरी बैंक, कंप्यूटर, बीपीओ में कटेंगी उनके लिए नए रोजगार के अवसर पैदा करने होंगे. मेरे विचार से इस मंदी का लाभ ले कर देश के गावों में जहाँ पर अभी भी बुनियादी सुविधाएँ जैसे सड़क इत्यादि नही है सरकार को इस समय कंस्ट्रक्शन में निवेश कर के देश की आर्थिक गति को तेज करना चाहिए. इसके लिए राज्य और केन्द्र सरकारों को आधा आधा खर्च उठाना चाहिए और जो नए व्यवसाय लगे उनके मुनाफे पर मिलने कर को भविष्य में बाँट लेना चाहिए.
Posted by
Bhavesh (भावेश )
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Monday, February 02, 2009
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