Subscribe

Powered By

Skin Design:
Free Blogger Skins

Powered by Blogger

भारतीय सविधान मे नागरिको के मूल अधिकार कितने है

संविधान को लागू हुये 60 से ज्यादा वर्ष बीत चुके है तब से इसे तीन थके हुये रंगों को एक पहिया ढो रहा है। हर वर्ष 26 जनवरी को परेडों और जुलुसों के बीच राष्ट्र की संमप्रभुता और संविधान में प्रदत्त नागरिक अधिकारों का गुणगाण किया जाता है। पर इतने वर्षो बाद आम जन को ये अधिकार कितने मिल पायें है ये सोचने वाली बात है भारतीय संविधान में भाग ३ के अनुच्छेद १२ से ३० तक तथा ३२ और ३५ (कुल २३ अनुच्छेदों) में जनता के मूल अधिकारों का वर्णन किया गया हैं । भारत संविधान में जो ६ मूल अधिकार दिए गए हैं वो है
  1. समानता का अधिकार ( केवल जेल में बंद सांसद ही संसद में आकर दूसरे अन्य सांसदों के समान वोट देते हैं दूसरे बंदी वोट नहीं दे सकते)
  2. स्वतंत्रता का अधिकार ( मुंबई हमले में शामिल उग्रवादी स्वंतंत्र रूप से जहाज से मुंबई आकर आतंक का तांडव खेल सकते है)
  3. शोषण के विरुद्ध अधिकार (हर पाँच मिनिट में एक व्यक्ति को IPC-498 दहेज़ के झूठे मुक़दमे में फंसाया जाता है)
  4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार ( इस अधिकार से सरकार अपने वोट बैंक की खातिर एक धर्म को खुश करने के लिए दुसरो को अपमानित कर सकती है)
  5. सांस्कृतिक तथा शैक्षणिक अधिकार (संस्कृति के नाम पर आज सभ्य वर्ग में अंग्रेज़ी में बात चीत करना शान समझी जाती है और मातृभाषा में वार्तालाप को अनपढ़ गंवारों की भाषा)
  6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार ( आप कॉर्ट में जिंदगी भर मुकदमा लड़ सकते हैं और कोई नतीजा नही आएगा पर फ़िर भी इसका कोई उपचार नही है क्योंकि कानून या अदातालत को कुछ भी कहने पर अदालत की तौहीन हो जाती है)

No comments: