सुख और दुःख क्या है ?
सुख और दुःख केवल मानसिक स्थिति है. संसार रूपी समुद्र में जीवन एक नाव है जिसमे सुख और दुख नाम की लहरे आती और जाती रहती है. और जब तक जीवन की ये नौका चल रही है तब तक सुख और दुख दोनों ही लहरे समय समय पर आकर इस नाव की दिशा निर्धारण करती रहेंगी. लहरो की तीव्रता का अनुमान नाविक को स्वयं करना होता है जो उसे मंजिल तक पहुचाने में मदद कर सके. वो कहते है न की मैं दुखी था क्योंकि मेरे पैर मैं जूता नही था पर जब एक इंसान को देखा कि उसका तो पैर ही नही है तो मुझे अहसास हुआ की मैं कितना सुखी था बस जिन्दगी के इस नजरिये का नाम ही सुख और दुख है
Posted by
Bhavesh (भावेश )
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Monday, February 02, 2009
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