मौन और चुप्पी का फर्क
मौन और चुप्पी में ये फर्क है कि चुप्पी बाहर होती है, मौन भीतर घटता है। जीवन के अनेक अनुत्तरित प्रश्नों का उत्तर मौन में मिल जाता है। संसार से संबंधित सवालों का जवाब संसार में ही मिल जाता है, परंतु जीवन से जु़ड़े प्रश्नों का उत्तर मौन से प्राप्त होता है। हमारे विचारों का प्रवाह नदी की तरह है, इस पर बांधा जाए मौन का बांध। जैसे बांध के कारण उसके रिजरवॉयर में गहराई होती है, उससे सिंचाई होती है और ऊर्जा प्राप्त की जाती है, वैसे ही मौन होने पर विचारों से उच्च परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। आप जितना मौन में रहेंगे आपके ज्ञान और बुद्धिमत्ता का संतुलन उतना बढ़ता जाएगा। मौन से प्राप्त शक्ति के बाद जब आप मुस्कुराते हैं तो केवल होंठ ही नहीं, पूरा व्यक्तित्व मुस्कुराता है। यदि प्रार्थना कर रहे होते हैं तो वह केवल शब्दों में नहीं हर सांस से प्रार्थना होने लगती है। हम बहुत कुछ करते हैं और फिर भी लगता है करने वाला कोई और है। एक और अच्छी बात यह भी होती है कि हमारे मौन से दूसरों को बोलने का मौका मिलता है जिस कारण हमें अधिक से अधिक जानकारी भी सहजता से उपलब्ध हो जाती है। इतना भाषण, लो मेरा मौन टूट गया ☺
Posted by
Bhavesh (भावेश )
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Monday, February 02, 2009
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