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आज़ादी के छ दशक

मेरे विचार से आज देश की दुर्दशा हमारी खोखली आजादी की देन है. जो बीज उस समय बोए गए थे वो सब नागफनी की बेल बन कर देश का सर्वनाश कर रहे है. उस समय केवल दो व्यक्तियों की राजनितिक मंछा के लिए देश का बंटवारा, जाती के नाम पर आरक्षण ऐसी कच्ची बुनियादे भरी गई की उन कच्ची नीवों से आज हमें एक खोखला अनपढ़ समाज, नपुसंक कानून, अपराधी और गुंडे नेता ही मिल पाये. जनता को अशिक्षित और गरीब रखना इन गुंडों की मज़बूरी है. आज आजादी के साठ साल बाद भी चुनाव में मोहल्ले की सड़क, नाली, पानी और बिजली जैसे मुद्दे ही नही सुलझ पाये. जब छ दशको में मोहल्ले से आगे नही बढ पाए तो कब शहर, राज्य और देश तक पहुंचेगे सोच लो. अफ़सोस हमारे यहाँ इक्के दुक्के नेता को छोड़ कर कोई इस लायक नही की राष्ट्रीय स्तर पर अन्य पार्टी के नेता से लाइव टीवी पर बहस कर सके. कोई बिरला अगर कर भी ले तो आधी से ज्यादा जनता के लिए ये समझ के बहार की बात है. मुख्यत अशिक्षा इस देश की दुर्दशा की जड़ में है और लोगो को पढ़ा लिखा कर समझदार बना कर ही इन नेताओ को सबक सिखाया जा सकता है और देश का सही भला किया जा सकता है.

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