निति निर्धारण के समय मध्यम वर्ग की उपेक्षा क्यो
राजीनीति के व्यापार का सीधा सा समीकरण है, एक हाथ दे एक हाथ ले. गरीबो के पास वोट है, अमीरों के पास नोट है और इसी के बल पर वो सरकार की नकेल को कसना जानते है. मध्यम वर्ग ख़ुद ही बँटा हुआ है और दौड़ धुप कर के गुजरा कर रहा है. अब न तो उसके पास वोट है और न ही नोट है. और इसलिए मध्य वर्ग की उपेक्षा अपेक्षित है.
Posted by
Bhavesh (भावेश )
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Monday, February 02, 2009
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