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क्या के अंदर और बाहर स्थित आतंकवादी ठिकानों पर छापा मारकर उन्हें नष्ट कर देना चाहिए ?

समझ में नही आता कि बार बार की गद्दारी को भारत क्यों सह जाता है, सीमा से ज्यादा संयम भी कायरता कहलाता है. डा कलाम को सलाम जो इस कीचड वाली राजीनीति में कमल के समान इस कीचड में होते हुए भी इस गंदगी से ऊपर उठे रहे. हमारे देश के कर्णधारो की ग़लत नीतियों का खामियाजा आज हम सब लोग भुगत रहे है. पाकिस्तान जिसको भूतपूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री सुश्री मेडलिन अलब्राईट ने अपने लेख में "एक अंतर्राष्ट्रीय माइग्रेन (सरदर्द)" कहा है, वो देश है जो आर्थिक, मानसिक और सामाजिक रूप से दिवालिया हो चुका है. इससे प्रत्यक्ष युद्ध करके खून बहाने से कई गुना बेहतर है की इसकी कमजोर होती स्तिथि पर प्रहार किया जाए, इससे एक परोक्ष युद्ध छेड़ दिया जाए. आंतकवादी कैम्पों को सेना की बजाये दुसरे भाड़े के टट्टू ही नष्ट कर दे, इनको आपस में उलझा कर अपना स्वार्थ सिद्ध किया जा सकता है. हिमाचल प्रदेश और जम्मू से पाक जा रही नदियों का रुख मोड़ कर पाक के सबसे उपजाऊ प्रान्त पंजाब को रेगिस्तान बनाया जा सकता है. फिर देखो ये नालायक पड़ोसी ख़ुद कैसे खुटने रगड़ते हुए आयेंगे भारत से दया की भीख मांगने.

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