अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) का कहना है कि वैश्विक आर्थिक मंदी की वजह से इस वर्ष पाँच करोड़ से अधिक लोगों को नौकरी गँवानी पड़ सकती है.
संयुक्त राष्ट्र से जुड़े इस संगठन का कहना है कि इसकी वजह से दुनिया भर में बेरोज़गारी का आंकड़ा सात प्रतिशत तक पहुँच जाएगा जबकि इस समय यह छह प्रतिशत के करीब है.
आईएलओ का कहना है नौकरियों में होने वाली कटौतियों का सबसे बुरा असर विकासशील देशों पर पड़ेगा.
श्रम संगठन का कहना है, "अगर आशंका के अनुरूप मंदी की हालत और बुरी हुई तो दुनिया भर में बेरोज़गारी का संकट बहुत गंभीर हो जाएगा।"
आईएलओ के महानिदेशक हुआन सोमाविया ने कहा, "यह एक विश्वव्यापी संकट है जिसके समाधान के लिए सबको काम करना होगा, दुनिया भर में ग़रीबी निवारण की दिशा में किए गए कामों पर पानी फिर रहा है, मध्यमवर्ग की दशा बिगड़ रही है. "
हर सप्ताह दसियों कंपनियों में हज़ारों की तादाद में लोगों की छंटनी के समाचार आ रहे हैं, इस सप्ताह फ़िलिप्स, होमडिपो, आईएनजी और कैटरपिलर जैसी कंपनियों ने बड़ी छँटनियों की घोषणा की है.
पिछले वर्ष सबसे अधिक नई नौकरियों के अवसर एशिया में पैदा हुए, दुनिया भर की कुल नई नौकरियों का 57 प्रतिशत हिस्सा एशियाई देशों से आया.
आईएलओ का कहना है कि दुनिया भर में छाई आर्थिक मंदी की वजह से एशियाई देशों के नौकरी बाज़ार में बढ़ोतरी की जगह छँटनी का दौर शुरु हो चुका है.
'पाँच करोड़ लोग बेरोज़गार हो जाएँगे'
Posted by
Bhavesh (भावेश )
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Thursday, January 29, 2009
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