क्या भारत-पाक का युद्ध होना जरूरी है
ये सांप छछूंदर वाली स्थिति है. युद्ध में नुकसान हर पक्ष का होता है लेकिन ये कई बार एक मज़बूरी बन जाती है. रोज रोज घुट घुट कर मरने से बेहतर है एक बार आर पार युद्ध हो जाए और इस बार भुट्टो को नब्बे हज़ार कैदी दान देने की जरुरत नही है. आप पाकिस्तान पर तिरंगा फहरा सकते है लेकिन उससे क्या होगा एक कश्मीर ही कम है क्या हमारा खून पानी करने और हमारी बेइज्जती के लिए जो हम पाकिस्तान नाम के इस अंतर्राष्ट्रीय सरदर्द को अपने गले की हड्डी बन जाने दे. लेकिन अगर हम कुछ नही करते तो ये हमारे लिए शर्म और तौहीन की बात है. हमें सबसे पहले अपने घर को दुरुस्त तंदुरुस्त करना होगा. उसके बाद हमें उन शैतानी आतंकी ठिकानो पर हमला बोलना पड़ेगा जहाँ पर ये खुनी वहशी दरिन्दे पलते और बड़ते है. जब तक हम अपने घर को ठीक करते है तब तक पाकिस्तान को आर्थिक नुकसान पहुँचाना होगा. पाकिस्तान से व्यापारिक रिश्ते ख़त्म करके, पाकिस्तान से क्रिकेट से नाते तोड़ कर के, वहां के पंजाब प्रान्त को जो भारत से पानी मिलता है उसको बंद कर के. इस तरह से पाकिस्तान पर कुटनीतिक और आर्थिक दबाव बना कर के फिर युद्ध करे ताकि हताश दुश्मन जल्दी हथियार डाल दे| ऐसा नही है की हमारे नेताओ को ये समझ नही है लेकिन उनमे कुछ करने की इच्छाशक्ति की कमी है. वो इसलिए क्योंकि अगर इस तरह के मुद्दे हल हो गए तो ऐसे जाहिल अनपढ़ गंवार नेता जो जात के नाम पर देश की जनता को बाँट कर मलाई खा रहे है उनकी धोबी के कुत्ते की सी हैसियत हो जायेगी.
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