
सबसे पहले रामनवमी के पावन अवसर पर सभी सुधि पाठको को बहुत बधाई।
रामनवमी से दो दिन पहले यानी की परसों ही भगवान् राम को एक बिल्कुल अलग से नज़रिए से समझने का प्रयास मैंने अपने इसी ब्लॉग पर प्रस्तुत किया था.
आज इस पवन अवसर पर, डा. हरिओम पंवार द्वारा रचित और मेरी अब तक की सर्वाधिक प्रिय कविता "राम मंदिर" प्रस्तुत है. कृपया पांच मिनिट का समय निकाल कर इसे अवश्य सुने और अपनी प्रतिक्रियाओ से अवगत कराये.
6 comments:
बहुत ही बढ़िया है. मैंने इसे सुना था, आज डाउनलोड भी कर लिया.
बहुत उम्दा रचना लाये..हम पवार जी के श्रीमुख से सुन चुके हैं इस रचना को..आज याद ताजा हुई, आपका आभार.
रामनवमीं की अनेक मंगलकामनाएँ.
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हिन्दी में विशिष्ट लेखन का आपका योगदान सराहनीय है. आपको साधुवाद!!
लेखन के साथ साथ प्रतिभा प्रोत्साहन हेतु टिप्पणी करना आपका कर्तव्य है एवं भाषा के प्रचार प्रसार हेतु अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें. यह एक निवेदन मात्र है.
अनेक शुभकामनाएँ.
वाह जी बहुत सुंदर. सब राम मय...
bahut sundar kavita sunaya aapne ..
dhanywad aapka
sir apne bahut sundar kavita likhi hai
sunkar main bhav vibhor ho gai.etna achha laga ki byan krne ke liye shabd nahin hai.
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