चार वेद :
- ऋग्वेद
- सामवेद
- अथर्ववेद
- यजुर्वेद
पूजा की तीन विधिया :
- वैदिक,
- तांत्रिक,
- मिश्रित
- सतयुग,
- द्वापर,
- त्रेता,
- कलयुग
- सत्य,
- दया,
- तप,
- दान
- तप,
- पवित्रता,
- दया,
- सत्य
- द्युत (असत्य),
- मधःपान (मद),
- स्त्रीसंग (आसक्ति),
- हिंसा (नि्र्दयता, वैर),
- सुवर्णं (धन, रजोगुण)
- धर्म,
- अर्थ,
- काम,
- मोक्ष
- सत (ज्ञान),
- रजो (कर्म),
- तमो (अज्ञान)
- ब्रह्मपुराण
- पद्मपुराण
- विष्णुपुराण
- शिवपुराण
- श्रीमद्भावतपुराण
- नारदपुराण
- मार्कण्डेयपुराण
- अग्निपुराण
- भविष्यपुराण
- ब्रह्मवैवर्तपुराण
- लिंगपुराण
- वाराहपुराण
- स्कन्धपुराण
- वामनपुराण
- कूर्मपुराण
- मत्सयपुराण
- गरुड़पुराण
- ब्रह्माण्डपुराण
अष्टांग योग :
- यम् (सत्य, अहिंसा, अस्तेय, अपरिग्रह, ब्राह्चार्य )
- नियम (सोच, संतोष, स्वाध्याय, तपास, ईश्वर प्राणिधान)
- आसन
- प्राणायाम
- प्रत्याहार
- ध्यान
- धारणा
- समाधि
- पृथ्वी,
- जल,
- तेज,
- वायु,
- आकाश
- शब्द,
- स्पर्श,
- रुप,
- रस,
- गन्ध
- क्षोत्र (कान),
- त्वचा (चमड़ी),
- चक्षु (आँख),
- रसना (जीभ),
- नासिका (नाक)
- वाक,
- पाणि,
- पाद,
- पायु,
- उपस्थ
नौ तत्व : पुरुष, प्रकृति, महातत्व, अहंकार पाँच भुत
सोलह कलाएँ : दस इन्द्रियाँ, एक मन और पाँच भुत
मनुष्य की तीन अवस्थाएँ :
- जाग्रत,
- स्वपन,
- सुषुप्ति
- प्राण,
- अपान,
- उदान,
- व्यान,
- समान
- सनक,
- सनन्दन,
- सनातन,
- सनत्कुमार
- जरायुज (स्तनधारी),
- स्वेदज (पसीने से पैदा होने वाले कीट पतंगे),
- अण्डज (अंडे से पैदा होने वाले रेंगनेवाले जंतु ),
- उद्भिज्ज (बीज से पैदा होने वाले)
- मंगला,
- धूप,
- श्रंगार,
- राजभोग,
- ग्वाल,
- सन्धया,
- शयन
- अग्निहोत्र,
- दर्श,
- पौर्णमास,
- चातुर्मास्य और
- पशु सोम
- सालोक्य (भगवान के नित्यधाम में निवास),
- सार्ष्टि (भगवान के समान एश्वर्यभोग),
- सामीप्य (भगवान की नित्य समीपता),
- सारुप्य (भगवानका-सा रुप) और
- सायुज्य (भगवान के विग्रहमें समा जाना, उनसे एक हो जाना या ब्रहारुप प्राप्त कर लेना)
- जम्बू,
- प्लक्ष,
- शाल्मलि,
- कुश,
- क्रोच्ञ,
- शाक और
- पुष्कर
- भुख
- प्यास,
- शोक
- मोह,
- जरा
- मृत्यु
- काम,
- क्रोध,
- लोभ,
- मोह,
- मद और
- मत्सर
- आग लगानेवाला,
- जहर देनेवाला,
- बुरी नीयत से हाथ मे शस्त्र ग्रहण करने वाला,
- धन लुटनेवाला,
- खेत छिननेवाला और
- स्त्री छिननेवाला
- ब्राहा,
- देव,
- आर्ष,
- प्राजापत्य,
- आसुर,
- गान्धर्व,
- राक्षश और
- पैशाच
- भगवान के गुण-लीला-नाम आदि का श्रवण,
- उन्ही का कीर्तन,
- उनके नाम, रुप आदि का स्मरण,
- उनके चरणों की सेवा,
- पूजा-अर्चना,
- वन्दन,
- दास्य,
- सख्य और
- आत्मनिवेदन
- मौन,
- ब्रहाचर्य,
- शास्त्र-श्रवण,
- तपस्या,
- स्वाध्याय,
- स्वधर्मपालन,
- युक्तियों से शास्त्रों की व्याख्या,
- एकान्तसेवन,
- जप और
- समाधि
- शम्भु,
- पिनाकी,
- गिरीश,
- स्थाणु,
- भर्ग,
- भव,
- सदाशिव,
- शिव,
- हर,
- शर्व,
- कपाली
अष्टलक्ष्मी :
- गज लक्ष्मी,
- आध्य लक्ष्मी,
- संतान लक्ष्मी,
- धन लक्ष्मी,
- धान्य लक्ष्मी,
- विजय लक्ष्मी,
- वीर लक्ष्मी,
- महा लक्ष्मी
- रुक्मणी
- जाम्बवन्ती
- सत्यभामा
- कालिन्दी
- मित्रबिन्दा
- सत्या
- भद्रा
- लक्ष्मणा
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बतलाई गई दस दिशाएं:
- पूर्व
- पश्चिम
- उत्तर
- दक्षिण
- ईशान (उत्तर-पूर्व)
- वायव्य (उत्तर-पश्चिम)
- नैऋत्य (दक्षिण-पश्चिम)
- आग्नेय (दक्षिण-पूर्व)
- आकाश (उर्ध्व)
- पाताल (अध)
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