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तब और अब

तब दोस्तों से घंटो बाते होती थी,
अब मोबाइल SMS से हाय हैलो होती है

तब क्रिकेट का बैट हाथ में होता था और सड़क पर क्रिकेट खेलने लग जाया करते थे,
अब लेपटोप और मोबाइल साथ में होता है और सड़क पर ही टिपियाने लग जाते है


तब शांत खड़े होकर चिड़िया और कोयल की आवाज़ सुना करते थे,

अब कंप्यूटर पर mpeg फाइल सुनते है


तब रात में छत पर लेट कर चमकते तारे देखा करते है,
अब काम के टेंशन में रात में तारे नज़र आते है


तब शाम को दोस्तों के साथ बैठ कर गपशप करते है,

अब चैट रूम में बनावटी लोगो से बाते करते है


तब ज्ञान प्राप्ति के लिए पढाई करते थे,

अब नौकरी बचाने के लिए पढ़ना पड़ता है


तब जेब खाली पर दिल उमंगो से भरा होता था,

अब जेब ATM, Credit/Debit card से भरी है लेकिन दिल खाली है


तब सड़क पर खड़े हो कर भी चिल्ला लेते थे,

अब घर में ही जोर से नहीं बोल पाते


तब लोग हमें ज्ञान का पाठ पढाते थे,
अब हम सबको ज्ञान देते फिरते है

वाह री आधुनिकता !! सोचो तुमने और मैंने क्या पाया इंसान बन के....

8 comments:

हास्यफुहार said...

अपकी यह पोस्ट अच्छी लगी।
हज़ामत पर टिप्पणी के लिए आभार!

Arshad Ali said...

bishnu kumar dwara likhi is post par nazar daliye..ye aapke post ka purak lagega.

कल

पहले हमें जेब खर्च के लिए 50 रुपये हर महीने
मिला करते थे,
हम उसमें से न स्कूल की आधी छुट्टी में जमकर खाते थे,
बल्कि कुछ न कुछ बचा भी लेते थे...
आज
आज 50 हज़ार रुपये महीना कमाते हैं.
नहीं जानता कि ये रकम जाती कहां है,
बचाने की बात तो छोड़ दीजिए...

बताइए कल अच्छा था या आज...
कल
छह विषय हर साल, छह अलग-अलग टीचर,
आज
जब से काम शुरू किया है एक ही प्रोजेक्ट,
और सिर्फ एक मैनेजर...
बताइए कल अच्छा था या आज...
कल
हम पढ़ाई के वक्त नोट्स बनाया करते थे,
हम रैंक्स के लिए पढ़ते थे,
आज
हम इ-मेल्स खंगालते रहते हैं,
में अपनी रेटिंग्स (टीआरपी या सक्रियता नंबर) की फिक्र रहती है...
बताइए कल अच्छा था या आज...
कल
हम स्कूल के अपने साथियों को आज तक नहीं भूले हैं,
आज
हम नहीं जानते कि हमारे साथ वाले घर में कौन रहता है...
बताइए कल अच्छा था या आज...
कल
खेलने के बाद थके हारे होने पर भी,
हम अपना होम-वर्क करा करते थे...
आज
आज घर की किसे याद रहती है,
24 घंटे बस काम का ही प्रैशर रहता है...
बताइए कल अच्छा था या आज...
कल
हम हिस्ट्री और इकोनॉमिक्स पढ़ते थे,
आज
अब किताबों की बात तो छोड़ ही दीजिए,
हम अखबार भी सरसरी तौर पर ही देखते है्...
बताइए कल अच्छा था या आज...
कल
हमारा जीवन में एक उद्देश्य था,
हमारे सिर पर टीचरों का हाथ रहता था,
आज
अब हमारे पास भविष्य के लिए न कोई आइडिया है,
और न ही हमें कोई कुछ बताने वाला है...
अब आप दिल पर हाथ रखकर बताइए,
कल अच्छा था या आज.
bishnu ke kalam se me likhe is post par apni tippani dena na bhule.
add-www.rcppblog.blogspot.com

is shandar post ke liye badhai

Bhavesh (भावेश ) said...

@हस्याफुहार : आपके ब्लॉग का तो नियमित पाठक हूँ. आपके चुटकुले की प्रस्तुति काफी मजेदार है.

@अरशद अली : ठीक इसी विषय पर सम्बंधित इस बिष्णु जी की पोस्ट से अवगत कराने के लिए आप का आभार. मैं उस पोस्ट पर भी टिप्पणी देने का प्रयास अवश्य करूँगा.

प्रवीण पाण्डेय said...

क्या से क्या हो गये हम।

Rohit Singh said...

लाख टके की बात कही है दोस्त

Bishnu ki Kalam se said...

Bhavesh Ji thanks for comments
Bishnu

joshi kavirai said...

अच्छी तुलना है | वैसे बदला तो कुछ नहीं हैं
आदमी ने अपनी प्राथमिकताएं बदल दी हैं |
'तारे दिन में नज़र आते' तो और भी अच्छा
रहता
रमेश जोशी

SANDEEP PANWAR said...

एक दम-सही बात ही कही है आपने तो एक-दम सही