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सफलता का मूलमंत्र...

आज के आधुनिक युग में हमने खोया ज्यादा है और पाया कम. इस शास्वत सत्य के बारे में मैंने अपनी पिछली पोस्ट में लिखा था.

इन सबका मुख्य कारण ये है कि हम आज की इस आपाधापी में न केवल अपने आप को जडो से काट चुके है अपितु हम अपने संस्कारो को भी भूल चुके है. हमारे शास्त्र कहते है "मातृ देवो भव, पित्र देवो भव" यानि माता पिता ही साक्षात् देवता स्वरुप है.

लेकिन अफ़सोस आज के समय में पाश्चात्य संस्कृति की तरह हमारे देश में कई बुजुर्गो को अपने "जीवन की संध्या" ओल्ड एज होम में गुजारनी पड़ रही है. उन वृद्धाश्रम में रह रहे माँ बाप कि गलती शायद ये थी कि उन्होंने अपने बच्चे को पैदा होते ही अनाथाश्रम में नहीं डाला, वर्ना उन्हें शायद आज ये दिन नहीं देखने पड़ते.

तुलसीदासजी ने रामचरित मानस में लिखा है
"मानहिं मातु पिता नहिं देवा। साधुन्ह सन करवावहिं सेवा॥
जिन्ह के यह आचरन भवानी। ते जानेहु निसिचर सब प्रानी॥"

जो माता पिता की सेवा नहीं करते या साधू से सेवा करवाते है, इस तरह का आचरण करने वाले ही निसिचर की श्रेणी में आते है.

अंग्रेजी में कहते है "A Picture is worth a thousand words". आइये नीचे कुछ तस्वीरों के माध्यम से माता-पिता का हमारे जीवन में स्थान और महत्व समझने का प्रयास करे.


























11 comments:

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

बहुत सुन्दर ढंग से बात रखी आपने भावेश जी !

arvind said...

bahut badhiya post bhaaveshji....maataa pitaa ke prati aapke vichar anukarniy hain.

प्रवीण पाण्डेय said...

चित्रों के माध्यम से सत्य के विभिन्न पहलू व्यक्त करती पोस्ट।

शिक्षामित्र said...

बहुत भावुक पोस्ट। इस बात का महत्व और भी ज्यादा कि आप स्वयं विदेश में होने के बावजूद इन मूल्यों को न सिर्फ सहेजे हुए हैं,बल्कि औरों को भी उनका स्मरण करा रहे हैं। आभार।

आशीष मिश्रा said...

आज आपके ब्लॉग पर पहली बार आया हूँ, आपके पहले पोस्ट ने ही इतना प्रभावित किया कि क्या कहूँ. कभी - कभी इंसान के पास तारिफ करने के लिये शब्द ही नहीं रह जाते.फिर भी इतना कहूँगा सुंदर.............अति सुंदर...........अतुल्यनीय

शरद कोकास said...

बहुत सुन्दर चित्रावली है ।

Pawan Kumar said...

भावेश जी !
मन को झकझोरने वाली चित्रमय प्रस्तुति के लिए आप बधाई के पात्र हैं...जिस मनुष्य को अपने माता पिता का सम्मान करना नहीं आता......वो इंसान कहलाने योग्य नहीं है...!

ZEAL said...

Great post indeed !

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

प्रिय बंधुवर भावेश जी
नमस्कार !
आपकी इस चित्रमय पोस्ट की जितनी प्रशंसा की जाए , कम है । बहुत अच्छे ढंग से आपने माता-पिता के प्रति हमारे उत्तरदायिव और कर्तव्यों के प्रति प्रेरित किया है ।
यह आधुनिक युग का अभिशाप और विडम्बना ही है कि आज संतान मां-बाप के प्रति जो फ़र्ज़ स्वतः याद रखने चाहिए , उसे औरों के समझाने पर भी स्मरण नहीं रख पा रही ।

आप विदेश में रह कर भी अपनी सभ्यता- संस्कृति हृदय में सहेजे हुए हैं , यह बात स्तुत्य है ।

शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

सत्य तो सत्य है

Unknown said...

priy bhavesh jee ,aap ne mata-pita ke mahatv,garima aur unki shakti se parchit karaya, eske liye ham aap ke hamesh abhari rahe ge A.K.PATEL [JEMI] CONTACT NO. 9919050404 DHANYVAD.....