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सोचो तुमने और मैंने क्या पाया इंसान बन के...

कहते है कि मानव जीवन अमूल्य है, इसे प्राप्त करना सहज नहीं है लेकिन क्या हमने सोचा कि आज की इस आपाधापी में हमने इंसान बन कर क्या पाया है. आइये जरा इसका हिसाब करके देखते है :

आज हमारे पास बड़ी बड़ी इमारते तो है लेकिन सहनशक्ति थोड़ी सी है.
चौड़े रास्ते तो है लेकिन मानसिकता संकीर्ण है
हम खर्चते बहुत है लेकिन पाते कम है,
खरीदते ज्यादा है लेकिन उपयोग कम करते है.

हमारे पास बड़े मकान लेकिन छोटे परिवार है,
ज्यादा सुविधाए लेकिन कम समय है,
ज्यादा डिग्रियां है लेकिन कम समझ है,
ज्ञान अधिक है लेकिन परखने की शक्ति कम है,
दवाइयाँ बहुत है लेकिन तंदुरुस्ती कम है,
विशेषज्ञ ज्यादा है और मुसीबते भी ज्यादा ही है.

हमने अपने हक तो बड़ा दिए है लेकिन मूल्य खो दिए है.
हम बोलते बहुत है, नफरत ज्यादा करते है और सोचते कम है.
हमने जीने के तरीके खोज लिए लेकिन हम मानवता को भूल गए.
हमने जिंदगी में कई साल जोड़ दिए लेकिन हम किसी भी साल को जिंदगी से नहीं जोड़ पाए.
हम चाँद पर जा कर आ गए लेकिन सड़क पार पडोसी से नहीं मिल पाए
हमने धरती के बहार अंतरिक्ष पर तो विजय प्राप्त कर ली लेकिन खुद अपने अंतर्मन को नहीं जीत पाए
हमने हवा को साफ़ कर दिया लेकिन आत्मा को प्रदूषित कर दिया
हमने परमाणु को भी तोड़ दिया लेकिन अपनी सोच को नहीं छोड़ पाए
आज तनख्वाह ज्यादा हो गई है लेकिन सदाचार कम हो गया है
हम ज्यादा मात्रा में और कम गुणवत्ता में विश्वास करने वाले हो गए है.
लोग बलिष्ठ शरीर और कमजोर चरित्र वाले हो गए है जिन्हें फायदे में ज्यादा और संबंधो में कम विश्वास है.

ये वो समय है जहाँ विश्व शांति की बात होती है लेकिन गृह्कलेश ही खत्म नहीं होते, अवकाश ज्यादा और प्रसनत्ता कम रहती है, ये दोहरी तनख्वाह और ज्यादा तलाक होते है, विशिष्ट महलनुमा मकान है, लेकिन टूटे हुए घर है.

आज के मानव के पास दिखाने को गर्व बहुत है लेकिन वो अंदर से काफी हद तक खाली है. ये दुर्गति शायद इसलिए है क्योंकि हम शायद सफलता का मूलमंत्र भूल चुके है.

(चित्र : साभार गूगल)

5 comments:

honesty project democracy said...

बहुत ही सार्थक और सराहनीय विचार ..शानदार उम्दा प्रस्तुती के लिए भावेश जी आपका आभार ...

arvind said...

saarthak post..acchhi prastuti.

हास्यफुहार said...

बहुत अच्छी कविता।

प्रवीण पाण्डेय said...

सारे के सारे विचारणीय अवलोकन हैं।

Ericfuas said...

सारे के सारे विचारणीय अवलोकन हैं।