क्या आप जानते है की कसाब को देश पर हमला करने के लिए ईनाम दिया जा रहा है.
बीबीसी में छपे समाचार के अनुसार मुंबई हमलों की सुनवाई के लिए महाराष्ट्र सरकार ने एक विशेष अदालत का गठन किया है. ये अदालत आर्थर रोड जेल में ही बैठेगी जहाँ कसाब को रखा गया है. कसाब की कोठरी और अदालत का कमरा, दोनों ही एयरकंडीशंड होंगे. अदालत के निर्माण में राज्य सरकार दो करोड़ रूपए ख़र्च कर रही है.
हाल ही में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान कसाब ने न्यायाधीश से कहा कि उसके ख़िलाफ़ जो आरोपपत्र दायर किया गया है, वह उसे नहीं समझ पाया है क्योंकि वह अंग्रेज़ी और मराठी भाषा में है. मुंबई हमलों से जुड़े दो भारतीय अभियुक्तों - फ़हीम अंसारी और सबाउद्दीन अहमद - ने 12 हज़ार पृष्ठों वाले आरोपपत्र का उर्दू अनुवाद उपलब्ध कराए जाने की माँग की थी. इस बारे में सरकारी वकील उज्ज्वल निकम ने बताया,"तीनों अभियुक्तों ने इस सुनवाई को आगे टालने की एक नाकाम कोशिश की. लेकिन 12 हज़ार पन्नों के आरोपपत्र का अनुवाद आसान काम नहीं है, इसलिए अदालत ने उनकी माँग को रद्द कर दिया".
आज देश के सरकारी कर्मचारीयो के द्वारा 12 हज़ार पन्नों के आरोपपत्र बनाना, टाइप करने जितनी मेहनत अगर अपराधी को सजा देने में इस्तेमाल की जाती तो देश की नियति अवश्य बदल सकती थी. पहले तो सरकार में कुछ काम होता नहीं और होता भी है तो ऐसा जिसकी कोई उपयोगिता नहीं हो.
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