चलिए तीन साल बाद या यूँ कहने थरूर प्रकरण के बाद सरकारी एजेंसीयो ने आइपीएल में लगे पैसे की सुध तो लेने की सोची. देखिये जैसे जैसे परत खुलेगी कितने दोयम दर्जे के नेता इस हमाम में नंगे नजर आयेंगे. दोयम दर्जे के इसलिए क्योंकि जो अव्वल दर्जे के छंटे हुए गुंडे बदमाश (इसे नेता पढ़ा जाए) है वो तो जांच एजेंसी को अपनी जेब में रखते है और इस घपले में अपना नाम कभी भी सार्वजनिक नहीं होने देंगे.
आउटलुक पत्रिका में छपे एक लेख के अनुसार देश में १९९२ से २००८ तक भारत देश में ७३ (73) लाख करोड़ रूपये भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए है. ये धांधली का पैसा हमारे देश के ५३ (53) लाख करोड़ के सकल घरेलु उत्पाद से २७% (27%) ज्यादा है. भ्रष्टाचार के प्रति हम लगभग पूर्ण रूप से उदासीन है. देश ने आज इस कैंसर रूपी रोग के साथ रहना अपनी नियति मान लिया है. लेकिन अगर इस पैसे का सही जगह उपयोग होता तो शायद देश की तस्वीर ही कुछ और होती. क्या आप जानते है भ्रष्टाचार के इतने पैसे से :
देश में तीस लाख रूपये के लागत से २.४ (2.4) करोड़ प्राथमिक चिकित्सा केंद्र खोले जा सकते थे. यानि देश के हर गाँव में ३ चिकित्सा केंद्र.
पांच लाख रूपये प्रत्येक की लागत से १४.६ (14.6) करोड़ निम्न / मध्य वर्गीय मकान बन सकते थे.
३.०२ (3.02) करोड़ रुपयों की लागत से २४.१ (24.1) केंद्रीय विद्यालय बन सकते थे जिसमे प्रत्येक में कक्षा छ से बारह तक के दो खंड या सेक्शन हो सकते थे.
सम्पूर्ण भारत देश के परिधि को ९७ (97) बार चक्कर काटते हुए १४.६ (14.6) लाख किलोमीटर की सड़क बन सकती थी.
हर साल १,२०० (1,200) करोड़ रूपये व्यय करके, देश की पचास प्रमुख नदियों की अगके १२१ (121) सालो तक सफाई हो सकती थी.
२,७०० (2,700) करोड़ रूपये के लागत से ६०० (600) मेगा वाट के २,७०३ (2,703) कोयले के पॉवर प्लांट लग सकते थे.
८१,१११ (81,111) करोड़ रूपये खर्च करके, ९० (90) नारेगा जैसी योजनाये चलाई जा सकती थी.
६०,००० (60,000) करोड़ रूपये खर्च करके, देश के सारे किसानो के ऋण १२१ (121) बार माफ़ किये जा सकते थे.
देश के प्रत्येक नागरिक को करीब ५६,००० (56,000) रूपये दिए जा सकते थे. या या फिर गरीबी की रेखा के नीचे रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को एक लाख अस्सी हज़ार रूपये दिए जा सकते थे.
७० (70) करोड़ लोगो को ७० (70) करोड़ नैनो दी जा सकती थी या २८० (280) करोड़ लैपटॉप बांटे जा सकते थे.
देश में तीस लाख रूपये के लागत से २.४ (2.4) करोड़ प्राथमिक चिकित्सा केंद्र खोले जा सकते थे. यानि देश के हर गाँव में ३ चिकित्सा केंद्र.
पांच लाख रूपये प्रत्येक की लागत से १४.६ (14.6) करोड़ निम्न / मध्य वर्गीय मकान बन सकते थे.
३.०२ (3.02) करोड़ रुपयों की लागत से २४.१ (24.1) केंद्रीय विद्यालय बन सकते थे जिसमे प्रत्येक में कक्षा छ से बारह तक के दो खंड या सेक्शन हो सकते थे.
सम्पूर्ण भारत देश के परिधि को ९७ (97) बार चक्कर काटते हुए १४.६ (14.6) लाख किलोमीटर की सड़क बन सकती थी.
हर साल १,२०० (1,200) करोड़ रूपये व्यय करके, देश की पचास प्रमुख नदियों की अगके १२१ (121) सालो तक सफाई हो सकती थी.
२,७०० (2,700) करोड़ रूपये के लागत से ६०० (600) मेगा वाट के २,७०३ (2,703) कोयले के पॉवर प्लांट लग सकते थे.
८१,१११ (81,111) करोड़ रूपये खर्च करके, ९० (90) नारेगा जैसी योजनाये चलाई जा सकती थी.
६०,००० (60,000) करोड़ रूपये खर्च करके, देश के सारे किसानो के ऋण १२१ (121) बार माफ़ किये जा सकते थे.
देश के प्रत्येक नागरिक को करीब ५६,००० (56,000) रूपये दिए जा सकते थे. या या फिर गरीबी की रेखा के नीचे रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को एक लाख अस्सी हज़ार रूपये दिए जा सकते थे.
७० (70) करोड़ लोगो को ७० (70) करोड़ नैनो दी जा सकती थी या २८० (280) करोड़ लैपटॉप बांटे जा सकते थे.
भ्रष्टाचार देश के लिए कोई नई बात नहीं है. स्विस बैंक में भारतीयों का कुल 1456 बिलियन डालर (जी हां एक लाख पैतालीस हज़ार छ सौ करोड़ डालर) का काला पैसा जमा है जो वहां के सारे बैंको में जमा अन्य सब देशो के कुल जमा पैसो से भी ज्यादा है. ये राशि भारत के कुल ऋण से 13 गुना ज्यादा है. यानि की इस राशि से भारत न केवल कर्ज मुक्त हो सकता है बल्कि कुल ऋण से बारह गुना ज्यादा राशि अपने पास रख सकता है. अन्यथा इस पैसे से 45 करोड़ लोगो में एक लाख रुपया भी बांटा जा सकता है. रूस जो स्विस बैंक जमा राशी में दुसरे स्थान पर है उसका कुल जमा 47,000 करोड़ डालर है जो भारत की जमा राशि से चार गुना कम है.
यहाँ सोचने वाली बात ये है कि आईपीएल को पारर्दर्शी होने के की बात थरूर के इस्तीफ़े के बाद से इतनी तेज क्यों हो गई है. यह सब काम तो थरूर का नाम जुड़ने से पहले भी ऐसे ही चल रहा था. दरअसल ये और कुछ नहीं, ललित मोदी पर लगाम कसने के लिए सरकार के इशारे पर की जा रही कार्रवाई के सिवा और कुछ नहीं है. इससे एक बात तो तय लग रही है कि मोदी के इस्तीफ़े के बाद मामला शांत हो जाएगा क्योंकि अगर बात आगे बढती है तो फिर क्या शरद पंवार क्या प्रफुल्ल पटेल, सब के सब लपेटे में आ जायेंगे.
एक अनुमान के अनुसार आइपीएल करीब 2000 करोड़ रूपये का घोटाला बतलाया जा रहा है. देश में इससे पहले और इससे कई बड़े भ्रष्टाचार के काण्ड हुए है जिनमे मुख्य है सत्यम 8000 करोड़, हर्षद मेहता 4000 करोड़, मधु कोड़ा 2000 करोड़, केतन मेहता 1500 करोड़, सी आर भंसाली 1200 करोड़, लालू चारा घोटाला 950 करोड़, दिनेश डालमिया 600 करोड़, उदय गोयल 210 करोड़ और अब्दुल करीम तेलगी 175 करोड़. इन सब केस में आज तक देश की किस अदालत ने किसी भी शामिल व्यक्ति का कुछ उखाड़ लिया जिससे की आम आदमी आज देश की न्यायप्रणाली पर विश्वास रखे.
अगर गुंडे छाप नेता लोग सचमुच में भ्रष्टाचार को मिटाना चाहते है, जिसकी कोई उम्मींद नहीं है, तो केवल आईपीएल जैसी छोटी मछली का तमाशा बनाने से कुछ हासिल नहीं होने वाला. उन्हें देश को उपरोक्त सभी गबन हुए पैसे का न केवल हिसाब देना पड़ेगा बल्कि ये भी सुनिश्चित करना पड़ेगा कि दुबारा ऐसी कोई घटना नहीं हो. खैर वैसे होना तो बहुत कुछ चाहिए मगर जिस तरह से नेताओं के नाम इन काण्ड से जुड़े हुए होते हैं, उसकी वजह से हर बार ये जो बात निकली है वो दो दिन में अढाई कोस चल कर टाय टाय फिस्स हो जाती है, और ऐसा ही कुछ अब भी होता दिख रहा है।
(चित्र साभार : गूगल)
4 comments:
ये तो एक कैंसर है, अब बड़े ऑपरेशन से ही हटाना सम्भव होगा…
इतनी चिन्ता सब करें तो कल ही खत्म हो जाय भ्रष्टाचार ।
सही विश्लेषण है ।
इतनी चिन्ता सब करें तो कल ही खत्म हो जाय भ्रष्टाचार ।
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