आओ मित्रो तुम्हें दिखाए
झाकी घपलिस्थान की
इस मिट्टी पे सर पटको
ये धरती है बेईमान की !
बंदों में है दम ...
राडिया-विनायकयम्
नंगे बेशरम...
उत्तर में घोटाले करती
मायावती महान है
दक्षिण में राजा-कनिमोझी
करुणा की संतान है !
मरघट से स्टेडियम देखो जो
कलमाडी की शान है
कदम कदम पर कमीनापन ही
सिब्बल की पहचान है !!
देखो ये जागीर बनी है
झूठो और मक्कार की
इस मिट्टी पे सर पटको
ये धरती है बेईमान की
बन्दों में है दम...नंगे बेशरम..
ये है दिग्गी जयचंदाना
नाज़ इसे गद्दारों पे
इसने केवल मूंग दला है
देशभक्तों की छाती पे !
ये समाज का कोढ़ पल रहा है
साम्यवाद के नारों पे
बदल गए हैं सभी अधर्मी
भाडे के हत्यारों में !!
हिंसा और मक्कारी ही अब
पहचान हिन्दुस्तान की
इस मिट्टी पे सर पटको
ये धरती है हैवान की
बन्दों में है दम...नंगे बेशरम..
देखो मुल्क दलालों का
ईमान जहां पे डोला था
सत्ता की ताकत को
चांदी के जूतों से तोला था !
हर विभाग बाज़ार बना था
हर वजीर इक प्यादा था
बोली लगी है यहाँ
सब मंत्री, अफसरान की !!
इस मिट्टी पे सर पटको
ये धरती है शैतान की
बन्दों में है दम... नंगे-बेशरम....!